बैंक लोन कब NPA बनता है और कैसे पड़ता है आम जनता पर इसका असर? Bank Loan NPA Kab Hota Hai ?

बैंक लोन कब NPA बनता है और कैसे पड़ता है आम जनता पर इसका असर? Bank Loan NPA Kab Hota Hai ?

Bank Loan NPA Kab Hota Hai

Bank Loan NPA Kab Hota Hai

नमस्ते मित्रों ."Bank Loan NPA Kab Hota Hai"
मित्रो पिछले काफी समय से NPA न्यूज़ पेपर और टीवी चेंनल की हेडिंग बना हुआ है। इस NPA के कारण कई बैंक भी सुर्खियों में बनी हुई है तो इसे लेकर आपके मन में यह सवाल जरूर आ रहा होगा की ये NPA है क्या "Bank Loan NPA Kab Hota Hai" तो आज के हमारे इस आर्टिकल में हम इसी मुद्दे पर बात करेंगे की NPA क्या है कब बैंक का लोन बनता है NPA और बैंको के इस NPA से आम जनता पर कोई असर पड़ता है क्या तो इसे जानने के लिए आप ये आर्टिकल पूरा पढ़े जिससे की आपके मन में NPA से सम्बंधित कोई भी कंफ्यूजन मन में नही रहे। तो आइए जानते है:-

NPA क्या है? 
NPA का पूरा नाम Non Performing Assets है
एक Financial organization या बैंक मुख्य रूप से दो प्रकार के काम करता है। बैंक अपने ग्राहकों को लोन देता और उनसे जमाराशियां स्वीकार करता है। जब बैंक अपने ग्राहकों को लोन देता तो लोन के रूप मे बांटी गई उस राशि में से कुछ धनराशि NPA (Non Performing Assets) में बदल जाती है ।
Bank Loan NPA Kab Hota Hai

Bank Loan NPA Kab Hota Hai 


कैसे। आइये आसान शब्दो में समझते है। 

जब कोई बैंक अपने ग्राहक को कर्ज देता है। इस शर्त पर की ग्राहक कर्ज की राशि को निश्चित समय पश्चात बैंक को वापस चुका देगा देगा देगा। लेकिन जब ग्राहक बैंक का कर्ज समय पर नहीं चुकाते हैं तो वह फंसा हुआ कर्ज एनपीए में तब्दील हो जाता है। इसे ही NPA (Non Performing Assets) कहा जाता है

उदाहरण के लिए: राम ने sbi से 3 लाख का लोन लिया । इस शर्त पर की वो 5 हजार मि मासिक क़िस्तों के साथ बैंक को वापस लौटा देगा । राम ने 2 लाख 40 हजार रूपये की राशि तो बैंक को चुका दी । और राम 60 हजार रूपये नही चूका पाया । तो ये 60 हजार रूपये बैंक के लिए NPA (Non Performing Assets) हो गया। अगर हिंदी में कहें तो गैर निष्पादित परिसंपत्तियाँ ।

अब यह जानो की कितनी किश्त अटकी तो NPA  हो जाता है लोन एकाउंट।

यह तो आप जानते ही होंगे की भारत में सभी बैंकों (सरकारी/प्राइवेट) की गाइडलाइन भारतीय रिजर्व बैंक ( RBI ) जारी करता है तो भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार बैंक को जब किसी सम्पति (लोन) से आय अर्जित होना बंद हो जाती है तो उसे एनपीए मान लिया जाता है। 
उदाहरण के लिए अगर किसी व्यक्ति ने घर खरीदने के लिए बैंक से होम लोन लिया। अगर वह व्यक्ति किसी कारणवश लगातार तीन महीने तक मासिक किश्तों का भुगतान नहीं कर पाता है तो बैंक को अपने बही-खाते में यह राशि एनपीए के रूप में दर्ज करनी होगी। 

बैंकों का NPA दो स्थिति में बढ़ता है। 

पहली स्थति:
जब अर्थव्यवस्था में कारोबार सुस्त यानि की मंदी के दौर सर  अर्थव्यवस्था गुजर रही हो । 

दूसरी स्थति:
जब कोई व्यक्ति या कंपनी जानबूझकर बैंक का कर्ज नहीं चुकाते हैं। जानबूझकर कर्ज न चुकाने वाले को ‘विलफुल डिफॉल्टर’ कहते हैं। 


इस तरह अगर कोई व्यक्ति या कंपनी से लगातार 3 माह  तक मूलधन या ब्याज की किश्त का भुगतान प्राप्त न होने पर लोन खाता NPA (Non Performing Assets) बन जाता है।


किसी Loan खाते के NPA घोषित होने का क्या है प्रोसेस आइये जानते है। Special Mention Account (SMA) क्या है? "Bank Loan NPA Kab Hota Hai"

कोई लोन खाता निकट भविष्य में एनपीए बन सकता है, इसकी पहचान करने के लिए RBI ने नियम बनाए हैं। जिसमे RBI ने एक Special Mention Account (SMA) की व्यवस्था की है । इसके तहत व्यावसायिक बैंकों को उनके लोन खातों को Special Mention Account (SMA) के तौर पर चिन्हित करना होता है। 


उदाहरण के लिए अगर किसी लोन खाते में मूलधन या ब्याज की किश्त का भुगतान निर्धारित तिथि से 1 से 30 दिन तक नहीं होता है तो उसे Special Mention Account (SMA)-0 कहा जाता है। अगर मूलधन या ब्याज का भुगतान 31 से 60 दिन तक न हो तो इसे Special Mention Account (SMA)-1 कहा जाता है। इसी तरह अगर मूलधन या ब्याज का भुगतान 61 से 90 दिन तक न हो तो उसे Special Mention Account (SMA)-2 कहा जाता है। इस तरह 90 दिन पूरे होने के बाद बैंक को उसे NPA घोषित करना होता है।
Bank Loan NPA Kab Hota Hai

Bank Loan NPA Kab Hota Hai 


NPA खाते कितने प्रकार के होते है?

मित्रो हम हमेशा NPA का नाम सुनते है । और समझते है कि NPA खाता एक तरह का ही होता होगा। और ये राशि बैंक की डुब गई है  बैंक ने उस लोन को वसूलना छोड़ दिया है। बैंको को घाटा हो गया है। ऐसा बिल्कुल नही है बैंक कभी राशि वसूलना नही छोड़ती है।

बैंक NPA खातों तो तीन भागों में बाटती है।

1.- ‘Substandard Assets’,  
2. -'Doubtful Assets’ 
3.- ‘Loss Assets’ 

1. Substandard Assets:- जब कोई लोन खाता एक साल या इससे कम अवधि तक NPA की श्रेणी में रहता है उसे ‘सबस्टैंडर्ड असेट्स’ कहा जाता है।


2. Doubtful Assets:-  जब कोई लोन खाता एक साल तक ‘सबस्टैंडर्ड असेट्स’ खाते की श्रेणी में रहता है तो उसे ‘डाउटफुल असेट्स’ कहा जाता है।

3. Loss Assets:-  लोन वसूली की उम्मीद न होने पर उसे ‘लॉस असेट्स’ मान लिया जाता है।

NPA के उतार-चढ़ाव से कैसे पड़ता है जनता पर असर?
NPA का असर केवल बैंको पर नही इसका असर आम जनता पर पड़ता है। जब NPA बढ़ता है तो 

 बैंकों को ज्यादा कर्ज लेना होता है। जिससे बैंकों की फण्ड चुकाने की लागत बढ़ती है  जिसका बोझ ग्राहकों पर ऊंची ब्याज दरों के रूप में पड़ता है। लोन महंगे हो जाते है । जमा राशि की ब्याज दरों में भी कमी हो जाती है। महंगाई बढ़ जाती है इसकी मार चारो ओर पड़ती है। RBI ने NPA को सुधारने के लिए समय समय पर कई प्रयास किये है। जिससे आम जनता और बैंको को भी राहत मिली है।

तो मित्रो ये था हमरा "Bank Loan NPA Kab Hota Hai" पर आर्टिकल उम्मीद है कि आपको यह जानकारी अच्छी लगी होगी । तो आप इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करे और ऐसी ही जानकारी के लिए बार बार हमारी साइट पर विजिट करते है 

धन्यवाद मित्रो!

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"Bank Loan NPA  Kab Hota Hai"  "NPA Kya hai"  "BANK NPA 2020" 

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